उन्मुक्त गगन है उड़ जाने दो !!!

दिल में जो अरमान  सिमटे हैं अब तक ,आज  उनको  पूरा हो जाने दो ।
 अब और न रोको इस  दिल के पंछी को ,उन्मुक्त गगन है उड़ जाने दो ।
कुछ कहना है उनसे , कुछ सुनना है उनसे, हम बस यही  सोचते रह जाते हैं 
 कभी नजरे  मिलाते कभी नजरे चुराते , जाने कब रात के साये में घिर जाते हैं
दिल में  जो बात छिपी है बरसो  से , आज लबों पर  आ  जाने  दो ।
अब और न रोको इस  दिल के पंछी को ,उन्मुक्त गगन है उड़ जाने दो ।
ये वक्त भी कैसा शायर  है , जाने क्या - क्या  लिखता रहता है
कल कहता था सपने झूठे होते हैं अब सपने ही सपने दिखाते रहता है
 भूल भी जाओ बीती बातें , खुद को सपनो से घिर जाने दो ।
अब और न रोको इस  दिल के पंछी को ,उन्मुक्त गगन है उड़ जाने दो ।
इन भीगी भीगी आँखों में  चंद दिनों से , इक तस्वीर तैरती रहती है
आँखों में ठहरे  पानी से  वो  और  भी  धुंधली  होती  जाती  है
सब कुछ मिटने से पहले इन पानी को मोती कर बन ढल जाने दो ।
अब और न रोको इस  दिल के पंछी को ,उन्मुक्त गगन है उड़ जाने दो ।