गुलाब सा खिल जाना !!!

सुबह-सुबह आँखों में नींद लिए
 तुम्हारा बालकनी में निकल आना
दोनों हाथो से बालों को सुलझाना ।
सूरज की हलकी धूप  पड़ते ही
तुम्हारे चेहरे का गुलाब सा खिल जाना  ।
हवाओ के ठन्डे झोकों से
तुम्हारे बदन का अचानक कांप जाना
मुझसे थोड़ी दूर बैठकर तुम्हारा मुझे देखना
फिर अचानक उठकर  बेपरवाह चले जाना
दरवाजे पर पहुचते ही मुड़कर मुझे देख लेना
 आँखों से न जाने क्या कहकर
आहिस्ते से तुम्हारा मुस्करा देना
तभी गर्दन के संग जुल्फों को झटक कर
बिना सोचे तुम्हारा यू  गुजर जाना
कभी छोटी-छोटी बातो पर तुम्हारा  गुस्साना
तुम्हारी गहरी आँखों का आंसुओ से भर जाना
 नम आँखों को छुपाने की कोशिश में
मासूम से चेहरे को नन्ही हखेलियों से ढक  लेना
थोड़ी देर बाद मेरे पास आना
मेरे कंधे पर सिर रखकर सो जाना
 आज तुम नही हो मेरे साथ
 तो हर वो  पल याद आते हैं ।


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