आसमां छोड़कर कहाँ जायेंगे !!!

सुबह के निकले ,थक-हार कर वापस यहीं आयेंगे । 
परिंदों  का घर है आसमां, छोड़कर कहाँ  जायेंगे ?
सावन भी है ,शाम भी  है , आने भी दो बारिश को 
इन्तजार में बैठे हैं  मोर, नाचने और कहाँ जायेंगे ?
गुलशन में  फूलों को खिलने दो ,महकने दो
गर फूल ही न रहे, भौरे पेट भरने कहाँ जायेंगे ?
सुन भी लो, कह भी दो ये रात का आखिरी पहर  है
सुबह किसे पता तुम किधर ,हम कहाँ जायेंगे ?


बस तेरा खवाब आया था !!!

कुछ ठंडक सी थी फिजा में
हवा बहकी थी ,कि कोई  तूफ़ान आया था
रोशनी भी हुई थी जहाँ में
बिजली चमकी थी, कि कोई  चाँद निकला था
होश आया तो पता चला
कुछ  नही हुआ था
बस तेरा खवाब आया था  ।