आहट आती रही रात भर !!!

कहने को यूँ तो सर्द बहारें मुझसे रूठी रहीं रात भर |


फिजाओं में भीनी भीनी सी खुशबू छाई रही रात भर |

कमबख्त बारिशों ने आसमां को खुलने ही ना दिया

पागल निगाहें बादलों में चाँद को ढूंढती रही रात भर |

चाहता था कि मै भी अंधेरो में बैठूं जरा कुछ देर

मशालें उनके मकान की मगर जलती रही रात भर |

उसके अहसास तो घर के कोने-कोने में बिखरे पड़े थे

मेरी गोद में उसकी यादें बेखबर सोती रही रात भर |

कहके गयी थी कि मुड़ कर इधर कभी ना देखूंगी

फिर वो कौन थी जिसकी आहट आती रही रात भर |