दुनिया को तेरी तरफ तकने ना दूँ !!!

अब लौट भी आओ कि तेरे बगैर किसी सपने को सजने ना दूँ |
अपनी किस्मत के पन्नों पर तुम्हे लिख दूं, फिर मिटने ना दूँ |
जो हो गया अब उसका क्या, वो किस्मत न तेरी थी न मेरी थी
तू हो जा रेत, तुझे मुठ्ठी में भर लूँ, इस बार फिसलने ना दूं |
आजाद ख़याल को वो पंछी, जो उड़ा करता था बड़ी दूर तक
तू भी उड़ आजाद ख्यालों में, तेरी ऊँचाइयों से तुझे गिरने न दूँ |
और, वो चिराग फिर से जल उठेगा, जो आंधी ने धोखे से बुझाए थे
मैं दीपक की लौ में तुझे निहारूं, दुनिया को तेरी तरफ तकने ना दूँ | 

दूसरी दुनिया !!!

मैंने घबराकर अपने बाएं हाथ से उसकी गर्दन अपनी तरफ घुमाई और उसके चेहरे की तरफ देखा | लेकिन यह क्या ? उसकी आँखें अभी भी मुझे देख रही थीं लेकिन उन आँखों में कोई हलचल नहीं थी | शायद उसके कान अभी भी मेरी आवाज सुन रहे थे लेकिन उसके ओंठ कुछ भी कहने के लिए हिल नहीं रहे थे | मेरा दायाँ हाथ अभी भी उसके हाथ में था लेकिन उसकी पकड़ कमजोर पड़ गयी थी | मेरी चीख सुनकर सतीश और लता अंदर चुके थे | जूस अभी भी मेज पर रखा हुआ था | मैंने कोमल का हाथ छोड़ दिया और एक दूसरी ही दुनिया में खो गया | ऐसी दुनिया जहाँ शीतल हवा ने अचानक आंधी का रूप ले लिया हो और सब कुछ उड़ाकर ले जा रही हो | जहाँ मैं समुद्र के किनारे बैठा मखमली लहरों से अपने पैर भिगो रहा हूँ कि अचानक उन लहरों ने सुनामी का रूप ले लिया और मुझे डुबाने लगी हो | एक ऐसी दुनिया जहाँ फूल भी मुझे चुभते हो, जहाँ सुबह काली होती हो, जहाँ शाम भी वीरान हो, जहाँ रातें चांदनी नहीं आंसू बरसाती हों, जहाँ नींद में रोमेंटिक सपनों की जगह डरावने सपने आते हों, जहाँ ख़ुशी की कोई लकीर ना हो और हर तरफ उदासी का राज हो, जहाँ लोग बस कहने को जिन्दा हैं...........| कुछ पलों के लिए तो मैं भी उस दुनिया का हिस्सा बन गया | उदास..........शांत............शोक में डूबा..........ख्यालों में खोया...........आँखों में आंसू............दिल में दर्द...........और कोमल की यादों को समेटे मैं वहीं बैठा रहा और कोमल को मेरी आँखों के सामने से लेकर वो चले गये | जूस अभी भी टेबल पर रखा हुआ था |

आखिरी ई मेल !!!

कोमल, तुम शायद ही कभी समझ सको कि तुम्हारे बिना मैं कितना अकेला हो गया हूँ | मुझे कितना दर्द होता है जब तुम अभि के साथ हंसती हो, उसके कंधे पर अपने हाथ रखती हो, उसके साथ लंच करती हो, उसके साथ पढ़ती हो, जब वह तुम्हारा हाथ अपने हाथों में ले लेता है, जब वह तुम्हारी आँखों में झांकता है, जब वह हंस-हंस कर तुमसे बातें करता है | मैं बता नहीं सकता जो दर्द मेरे अंदर हैं | काश मेरे दिल से निकले आंसू तुम्हें पिघला पाते |
मैं महसूस कर सकता हूँ अपने चारों तरफ फैले सन्नाटे को जिनमें तुम्हारी आवाज कहीं गम हो गयी है | मैं महसूस कर सकता हूँ इन ठंडी हवाओं को जिसमें तुम्हारी खुशबू नहीं है | मैं महसूस कर सकता हूँ तुम्हारे बिना गुजर रहे इस वक्त को जिनमें तुम्हारी कोई झलक नहीं है | कोमल मुझे अब चांदनी रातें अच्छी नहीं लगतीं | मुझे चाँद अच्छा नहीं लगता | ऐसा लगता है जैसे ये टिमटिमाते हुए तारे मुझे चिढ़ा रहे हैं, मुझ पर हंस रहे हैं | कोमल तुम वापस जाओ | तुम ही तो हो जिसने मुझे जीना सिखाया था | तुम्हें याद है हम घंटों एक दूसरे से बातें करते थे और एक दूसरे की बातों पर हँसते रहते थे | तुमने ही तो मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया था और मैंने अपने दांतों से तुम्हारी ऊँगली दबा दी थी और तुम दर्द से चींख पड़ी थी | वह दर्द भी कितना मीठा था | उस दर्द में, उस चींख में कितना प्यार था, कितना अपनापन था | तुम्हें याद है बस से उतरते वक़्त तुमने तीन बार मुझसे बाय कहा था और मैंने बस एक बार | दरअसल उस समय मेरी चाहत कुछ और थी | मैं चाह रहा था कि तुम ना जाती | तुम मेरे साथ कॉलेज तक चलती | इसी बहाने मैं तुम्हें कुछ देर तक और देखता |
कोमल, वह तुम ही तो थी जिसकी वजह से मैंने महाराष्ट्र जाने का प्लान बनाया था | वहां कितना मजा आया था | ट्रेन में कम्बल को लेकर लड़ाई, होटल में तुम्हारे पिंक कलर को लेकर प्रश्न पर प्रश्न पूंछना, वाटर पार्क में तुम्हारे साथ डांस | उस पानी की ठंडक, उन लाइटों की चकाचौंध में चमकता तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी खुशबू मैं आज भी महसूस कर सकता हूँ | कोमल तुम्हें याद है ना चोट खाने के बाद तुम मेरे कंधे पर सिर रखकर सो गयी थी | मैं आज भी अपने कंधे पर उस वजन को महसूस कर सकता हूँ | कोमल उस दिन तुम कितनी मासूम लग रही थी | उस दिन तुमने कितनी प्यारी-प्यारी बातें की थीं | वो पल आज भी मेरी आँखों के सामने तैरते रहते हैं |
अब जब तुम मेरे साथ नहीं हो तो मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि जैसे वक़्त तो चल रहा है लेकिन मैं बर्फ की तरह जम गया हूँ | तुम्हारे बिना मैं एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता | मैं कुछ भी सोच नहीं सकता | मैं खुश नहीं रह सकता | मैं अंदर से पूरी तरह टूट चुका हूँ और यह सब इसलिए क्योंकि तुम मेरे साथ नहीं हो | तुम किसी और के साथ हो | मैं तुम्हें नहीं बता सकता कि मैं मर रहा हूँ क्योंकि तुम बिना कोई वजह बताये मुझसे दूर चली गयी और किसी और में अपनी ख़ुशी ढूंढ ली |  


कोमल तुम कुछ बताती तो शायद मैं कुछ मदद कर पाता | शायद मैं कुछ कर सकता कि हम दोनों फिर से एक साथ हो जाते | हम एक बार फिर से साथ हँसते | हम एक बार फिर से एक दूसरे का हाथ पकड़कर दूर तक चलते | कोमल मैं उन पलों को एक बार फिर से जीना चाहता हूँ और यह तुम्हारे बिना नहीं हो सकता |