जिंदगी मेरी, इक साँझ सी !!!

है मौसम कोई पतझड़ का
 और जिंदगी मेरी, इक साँझ सी
 जहाँ टूटे पत्तो से बने झरोखे 
 इन झरोखों से झांकती तुम
 तुम जो बैठी हो आसमाँ की सेज पर
 जैसे तुम ही हो वो साँझ का चाँद
 चाँद जो रोशन करता है मुझे 
चाँद जो चलना सिखाता है मुझे
 चाँद जो भर जाता है हर साँझ मुझमे 
मुहब्ब्त के कुछ नए अफ़साने
 चाँद जो कहता है मुझसे की आओ, 
मेरे पास आओ मेरी दुनिया में आओ
 आकर चूम लो मुझे, हौले से 
की किसी को खबर तक न हो
 हमारे मिलने की !!!

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